दिल्ली में हुई अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि धोकेवाजी और गलतफहमी के आधार पर महिला का विश्वासघात कानून की नजर में सहमति नहीं है और ऐसे में बनाया गया शारीरिक संबंध बलात्कार माना जाएगा।
अदालत ने एक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी करार देते हुए कहा कि शारीरिक संबंध के लिए पीड़िता से ली गई सहमति स्वैच्छिक नहीं थी क्योंकि दोषी व्यक्ति ने उसे गलत तरीके से विश्वास दिलाया कि वह अविविाहित है। महिला के अपने पति से तलाक लेने के बाद वह उसे शादी करेगा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने कहा, आरोपी के साथ शारीरिक संबंध के लिए पीड़िता की ओर से दी गई सहमति किसी भी तरह से स्वैच्छिक नहीं हो सकती।
यह स्पष्ट रूप से भारतीय दंड संहिता की धारा 90 का है तथा कथित सहमति कानून की नजर में कोई सहमति नहीं है क्योंकि इसे आरोपी ने छल और गलतफहमी से हासिल किया था। उन्होंने कहा, ऐसे में आरोपी और पीड़िता के बीच बना शारीरिक संबंध भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत बलात्कार के अपराध के बराबर है। आरोपी बलात्कार के अपराध का दोषी है।
अन्य ख़ास ख़बरें
नोटों की रद्दी से बन रही है: बिजली और ईंट
नहीं रहे क्रिकेटर सूर: खेलते-खेलते मैदान पर गिरे
नहीं रहा भरोसा: नरेंद्र मोदी का भाजपा पर
वीडियो कॉल: गूगल ने अपने मैसेजिंग एप हैंगआउट्स(5.1) में इनवाइट फीचर
एक और विदेश यात्रा: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी "नरेंद्र मोदी देश के पहले एनआरआई प्रधानमंत्री"
देबबंद में सेक्स रैकेट का भंडाफोड, 2 महिला सहित 5 गिरफ्तार
No comments:
Post a Comment