Sunday, 20 December 2015

आइए आपको बताते हैं कैसे : इस तरह बंद लैपटॉप से भी चार्ज कर सकते हैं स्मार्टफोन


      कई बार आपका फोन चार्ज नहीं होता और रास्ते में फोन चार्जिंग एक समस्या बन जाती है ऐसे में, आपके स्मार्टफोन को चार्ज करने का एक बहुत ही बढ़िया तरीका है। अगर आप लैपटॉप इस्तमाल करते हैं तो उसके पावर का इस्तमाल करके आप अपने स्मार्टफोन को चार्ज कर सकते हैं। लेकिन अगर आपका कंप्यूटर बंद हो जाए तो आपका फोन चार्ज होना भी बंद हो जाता है। और अगर लैपटॉप ऑन करके अपने स्मार्टफोन को चार्ज किया तो उसकी बैटरी बहुत जल्दी खत्म हो जाएगी। ऐसी हालत में भी आप अपने स्मार्टफोन को चार्ज कर सकते हैं।

इस पोस्ट में हम आपकी इसी समस्या का निदान करने वाले हैं| आइए आपको बताते हैं कैसे :
विंडोज 7 या उसके बाद के ऑपरेटिंग सिस्टम वाले कंप्यूटर पर 'माई कंप्यूटर' पर क्लिक कीजिए और उसके बाद 'प्रॉपर्टीज' चुन कर 'डिवाइस मैनेजर' पर क्लिक कीजिए।

उसके बाद आपको 'यूनिवर्सल सीरियल बस कंट्रोलर' दिखेगा, जिस पर क्लिक करने पर आपको 'USB रुट हब' लिखा दिखेगा।

उसके प्रॉपर्टीज पर क्लिक करने से आपको 'पावर मैनेजमेंट टैब' पर 'अलाऊ कंप्यूटर टू टर्न ऑफ दिस डिवाइस टू सेव पावर' लिखा दिखेगा। उसके साथ के बॉक्स से टिक मार्क हटा दीजिए। उसके बाद अपने फोन को आप लैपटॉप की बैटरी से तब भी इस्तमाल कर सकेंगे जब आपका लैपटॉप ऑफ होगा।

इस तरीके से आप बिजली कट जाने के बाद भी अपने स्मार्टफोन को चार्ज कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखिए कि आप अपनी लैपटॉप की बैटरी कम से कम इस्तमाल करके फोन को चार्ज करें।

Life Style: खुद से पूछे सवाल



रिसाइकल बिन के इन चिन्हों को भी जानिए


Friday, 11 December 2015

अपना टिकट 139 पर कॉल करके कैंसिल करा सकेंगे

अब आप अपना टिकट 139 पर कॉल करके कैंसिल करा सकेंगे

 

इस अहम् जानकारी से हो सकता है सभी का फायदा

 

पा ही लिया १३ साल बाद सलमान ने मुक्ति रत्न धन

आपके फ़ोन की बैटरी चलेगी दोगुनी....... जानिये कैसे !

बस इन 3 बातों का रखें ध्यान, आपके फ़ोन की बैटरी चलेगी दोगुनी :


  • जैसे-जैसे डेटा का इस्तेमाल बढ़ रहा है, बैटरी की खपत भी बढ़ रही है इसीलिए बैटरी की लाइफ़ बढ़ाने के नुस्ख़े जानना आपके लिए ज़रूरी है। 

  • वाई-फ़ाई, ब्लूटूथ और जीपीएस, क्या ये सब आपको हर समय चाहिए? अगर नहीं तो इन्हे बन्द कर दे। 

  • बैकग्राउंड में कई ऐप आपकी बैटरी खाते रहते हैं, इनकी संख्या जितनी कम होगी, उतना बढ़िया होगा।


ये तीनों सुविधाएं उस वक़्त बंद कर दें जब उनकी ज़रूरत नहीं हो। नहीं तो बैटरी लाइफ़ पर ख़ासा फ़र्क़ पड़ता है।


6 Cell Phone Secrets

Here are a few technological tips to help you get the most out of your phone......


1. You can silence your ringing phone speedily by pressing any key on its side. (It’s still ringing — you can answer it or let it go to voice mail — but at least you’ve quieted it.) Remember this when you’re at the theater, a concert, or in church.

2. There are several ways you can improve your cell phone’s reception: Use your phone near a window if you are inside a building, as walls weaken signals; move away from all electronic equipment, including TVs; stay away from large objects, especially if they contain metal; and move to a higher location if possible.

3. Nothing uses up your phone’s battery like searching for a signal. Turn your phone off when it is out of cell phone signal range.

4. Before travelling overseas, call your phone company to buy a special temporary overseas plan. Many people rack up bills of up to $5,000 while on holiday just because of international Internet fees. If you can’t get an affordable roaming plan, try buying a cheap phone abroad to use with a local SIM card.

5. If you have an iPhone and want to enlarge the screen for ease in reading tiny type, double tap the screen with three fingers. Then pan around by dragging with three fingers. Turn this feature on by tapping Settings, then General, then Accessibility. Double-tap with three fingers to restore the screen magnification.

6. Make sure that you synch all of your contacts and data with your computer. If you have an iPhone this just requires plugging your phone into your computer. It all happens automatically. Then if your phone is lost, you still have all of your information.

Thursday, 10 December 2015

8 Tricks for solving hanging problem in Smartphones





 फोन के हैंग होने की सबसे बड़ी वजह इंटरनल मेमोरी होती है। जब भी फोन की इंटरनल मेमोरी या रैम कम हो जाती है तो फोन के हैंग होने के चांस बढ़ जाते हैं। इस परेशानी से बचने के लिए कुछ उपाए अपनाएं जा सकते हैं।

1. क्लाउड स्टोरेज


ऐसी फाइल और फोल्डर जिनका यूज कम होता है उन्हें क्लाउड पर स्टोर कर सकते हैं। इससे फोन की इंटरनल मेमोरी खाली होगी। क्लाउड स्टोरेज का यूज करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन होना जरूरी है।
क्लाउड स्टोरेज किसी वर्चुअल ड्राइव की तरह होता है जहां पर यूजर्स अपना अकाउंट बनाकर डाटा सेव कर सकते हैं। गूगल ड्राइव, वन ड्राइव और ड्रॉप बॉक्स क्लाउड स्टोरेज एप्लिकेशन हैं। यहां से कभी भी सेव डाटा का बैकअप भी लिया जा सकता है। 


2. कैश मेमोरी को करें डिलीट
कैश मेमोरी को फोन की CPU मेमोरी भी कहते हैं। फोन में ब्राउजर, एप्लिकेशन और गेम जैसे फीचर का यूज करने से कुछ अनचाहा डाटा भी कैश मेमोरी में स्टोर हो जाता है। यह डाटा जितना अधिक होता है फोन उतना ही अधिक स्लो और फिर हैंग होने लगता है। कैश मेमोरी को डिलीट कर फोन हैंगिंग से बचा जा सकता है। कैश मेमोरी के ऑप्शन के लिए सेटिंग के स्टोरेज में जाना होगा।




3. फैक्ट्री डाटा रिसेट



हर फोन में फैक्ट्री डाटा रिसेट का आॅप्शन होता है। फैक्ट्री डाटा रिसेट करने से फोन हैंगिंग काफी हद तक कम हो जाती है। हालांकि इसके पहले फोन के डाटा का बैकअप लेना जरूरी है। ऐसा नहीं करने से फोन का डाटा लॉस्ट हो सकता है।





4. फर्मवेयर करें अपडेट


फोन के हैंग होने का एक कारण पुराना सॉफ्टवेयर भी होता है। कंपनियां अक्सर इसके लिए अपडेट देती हैं। इसके लिए नोटिफिकेशन भी मिलता है। नोटिफिकेशन नहीं आने पर सेटिंग में About phone और फिर Software में जाकर इसे चेक कर सकते हैं। अपडेट का मैसेज आने पर हमें तुरंत इसे अपडेट करना चाहिए।



5.बैकग्राउंड एप्लिकेशंस को बंद करें

बैकग्राउंड में चलने वाली एप्लिकेशंस की वजह से भी फोन हैंग होता है। यूज न होने पर बैकग्राउंड में चलने वाली एप्लिकेशंस को बंद कर देना चाहिए। ऐसा करने से फोन की रैम को थोड़ा स्पेस मिल जाता है और फोन हैंग नहीं होता है।

6. एप्लिकेशन को मेमोरी कार्ड में सेव करें 

फोन के हैंग होने का एक बड़ा कारण इंटरनल मेमोरी में स्पेस कम होना है। फोन में जो भी एप्लिकेशन या गेम इंस्टॉल करें ध्यान रहे कि वह मेमोरी कार्ड में सेव हों। यदि ऐसा न हो तो इंटरनल मेमोरी से एप्लिकेशन और गेम को डाटा कार्ड में मूव कर दें। फोन की सेटिंग के एप्लिकेशन मैनेजर में यह ऑप्शन होता है।






 7. स्टोरेज के लिए मेमोरी कार्ड का यूज करें


फोटोग्राफ, वीडियो और ऑडियो फाइल को मेमोरी कार्ड में ही स्टोर करें। एप्लिकेशंस की तरह यदि फोटोज और वीडियोज आदि इंटरनल मेमोरी में हों तो उन्हें मेमोरी कार्ड में मूव कर दें। फोन जितने GB कार्ड को सपोर्ट करता है उसमें कुछ स्पेस जरूर रखना चाहिए।


 

 8. एंटी वायरस ऐप इन्स्टॉल करें

फोन के स्लो चलने और हैंग होने का एक बड़ा कारण वायरस भी है। फोन को वायरस से बचाने व क्लीन रखने के लिए एंटी वायरस एेप इन्स्टॉल करना चाहिए। अक्सर लोगों को लगता है कि एंटी वायरस इन्स्टॉल करने से फोन स्लो काम करता है जबकि ऐसा नहीं है।



मगरमच्छ के मुंह से अपने बच्चे को खींच लायी हाथी



अब उठने लगे बाजीराव मस्तानी पर विरोध




Wednesday, 9 December 2015

दिलीप कुमार जी का जन्मदिन

लोप होती स्मृति में तन्हा दिलीप कुमार 



       
कल दिलीप कुमार का जन्म दिन है। वे पेशावर में 11 दिसंबर 1922 को जन्मे और दो वर्ष पश्चात उसी मोहल्ले में 14 दिसंबर 1924 को राज कूपर जन्मे। दोनों के पिता पड़ोसी और गहरे मित्र थे। विलक्षण प्रतिभा के धनी दिलीप कुमार भारत में 'मैथड स्कूल' के पहले कलाकार हैं, जबकि उन्होंने किसी स्कूल में अभिनय नहीं सीखा। दिलीप ने प्रयोग और अनुभव से खुद को फिल्म दर फिल्म तराशा है। उनके पिता फलों और सूखे मेवे के व्यापारी थे और मुंबई आने के पहले वे देवलाली में बसे थे। दीवारों पर लगे बेटे के पोस्टर देखकर उन्हें ज्ञान हुआ कि बेटा अभिनेता हो गया है। वे प्राय: पृथ्वीराज कपूर को ताना देते थे कि पठान होते हुए भी तुम भांड हो गए। वे पुत्र को लेकर मुंबई के सेंट्रल स्टेशन पर गए, जहां उनके परिचित गांधीजी के अनन्य साथी मौलाना अबुल कलाम आजाद आने वाले थे। उन्होंने प्रार्थना की कि वे उनके बेटे को समझाएं कि यह भांडगिरी ठीक नहीं। मौलाना ने दिलीप से केवल यह कहा कि बेटा जो भी करो, इबादत की तरह करना। दिलीप कुमार ने ताउम्र अभिनय इबादत की तरह किया। कभी काम से समझौता नहीं किया। अनेक दुखांत फिल्मों में अभिनय करके उनके अवचेतन में नैराश्य छा गया और उन्होंने लंदन के मनोचिकित्सक से परामर्श किया, जिन्होंने सलाह दी कि अब कुछ समय तक उन्हें सीधी, सरल सुखद अंत वाली फिल्में करनी चाहिए। लंदन से आकर उन्होंने गुरुदत्त से माफी मांगी कि वे 'प्यासा' नहीं कर पाएंगे और उन्होंने आजाद, कोहिनूर तथा राम और श्याम की। फिर दिलीप ने सबसे महत्वाकांक्षी 'गंगा-जमुना' बनाई। उनका साहस था कि यह उन्होंने अवधि भाषा में रची। अनेक वर्ष पूर्व उस दौर के सबसे बड़े पूंजी निवेशक जीएन शाह को मैंने अमृतलाल नागर के उपन्यास 'मानस का हंस' का सार सुनाया और उन्होंने उस पर फिल्म बनाने का निश्चय किया। शाह साहब को यकीन था कि अगर तुलसीदास की भूमिका दिलीप स्वीकारें तो यह फिल्म बनाई जा सकती है। वे मुझे लेकर दिलीप कुमार के घर गए। तय हुआ कि मैं सप्ताह में तीन दिन शाम पांच से आठ बजे तक उन्हें उपन्यास पढ़कर सुनाऊंगा। इस तीन महीने तक मैं उनके घर जाता रहा। मेरे सुनाए अंश पर अगली बैठक में वे प्रश्न और विचार इस गहराई से प्रस्तुत करते कि मैं हतप्रभ रह जाता। उन्हीं दिनों जब वे पतंग उड़ाते थे, तो कई बार मुझे उनका उचका पकड़ना होता और पतंग उड़ाने में भी उनका डूब जाना आश्चर्यजनक था। वे एक बोतल बीयर की शर्त पर पड़ोसी की पतंग काटते थे। जिस दिन उनकी पतंग कटती, वे अपने मांजा सूतने के कक्ष में जाते और अतिरिक्त पिसा कांच मिलाकर दास्ताने पहनकर नया मांजा सूतते थे। वे ताश के पत्तों की ट्रिक्स भी जमाते थे। उनका अभ्यास था कि अल्पतम समय में 52 पत्ते फेंट देते थे और कई बार उन्होंने मुुझे तीन बादशाह बांटें और स्वयं तीन इक्के बांट लिए। उनके उन्मुक्त ठहाके दसों दिशाओं में गूंज जाते थे। अभिनेता के पीछे छिपे असली दिलीप कुमार से ऐसे मुलाकात हुई। लगभग छह माह की मशक्कत के बाद उन्होंने स्वयं को तुलसीदास की भूमिका के लिए तैयार किया। किंतु जीएन शाह का मात्र 41 वर्ष की उम्र में निधन हो जाने के कारण वह फिल्म नहीं बनी। अमृतलाल नागर के मित्र महेश कौल की मृत्यु के कारण भी फिल्म नहीं बनी थी। यह कितनी बड़ी त्रासदी है कि कुछ वर्षों से दिलीप कुमार की स्मृति छुपाछुपी खेल रही है। दिलीप के नौ भाई-बहन थे। उन्होंने जाने कितने जनाजों में शिरकत की है परंतु कभी हिम्मत नहीं हारी। उनके पाक जासूस होने की अफवाह उड़ाई गई। पाकिस्तान में पुरस्कार लेने पर आलोचना सहनी पड़ी, जबकि वही पुरस्कार मोरारजी देसाई भी ले चुके थे। उनके साथ असहिष्णुता की ताकतों ने अफवाहों का छाया युद्ध लंबे समय खेला है। आज के हुड़दंगियों को मालूम नहीं कि वे नेहरू के मित्र थे अन्यथा इस तन्हा व्यक्ति के साथ जाने कैसा व्यवहार होता? हिरण की तरह छलांग लगाती उनकी स्मृति गुमनाम जंगल की ओर कुलांचे भर रही है और स्मृति के तलघर में वे शायद जन्म स्थान पेशावर देखते हों या दिलीप कुमार के लेजेंड के पीछे खोए यूसफ खान को खोजते हों या कभी-कभी मधुबाला की छवि भी उनसे कहती हो, 'बेकस करम कीजिए सरकारे मदीना' या 'प्यार किया तो डरना क्या, यूं घुट-घुटकर मरना क्या

हाथों की उंगलियो के बीच छिपे है सेहत के राज


विस्तर का सही चुनाव न होने के कारण उजागर समस्या (तकिया)











देश के सबसे कमाऊ कैदी यहां

देश के सबसे कमाऊ कैदी यहां और उनसे उत्पादों की कीमत प्रति कैदी एक नजर



इन हजारों फिल्मों का सर्टिफिकेशन कैसे होता है?










सोर्स - दैनिक भास्कर 

२२ करोड़ की लूट



क्षिणी दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश में प्रदीप पैसों से भरी एक वैन लेकर जा रहा था। जमरूदपुर पहुंचने पर वैन के गार्ड सत्य प्रकाश और कुछ लोगों में पार्किंग को लेकर विवाद हो गया। झगड़ा बढ़ा, भीड़ इकट्‌ठी हो गई और लोग सत्य प्रकाश को पीटने लगे। हड़बड़ाहट में उससे बंदूक चल गई। वहीं अपने साथी को पिटता देख एक अन्य गार्ड ने भी भीड़ पर गोली चला दी। कुछ लोग घायल हुए और एक आदमी मारा गया। इस बीच प्रदीप पैसों को नुकसान पहुंचने की आशंका को भांपते हुए, वैन लेकर वहां से निकल गया। वह सीधा सिक्योरिटी कंपनी के हेड ऑफिस पहुंचा। इस बहादुरी पर उसकी खूब तारीफ हुई। वह पूरे मामले में पुलिस का चश्मदीद गवाह भी बना। उसे साहसी होने का तमगा दिया गया। उसने पैसों को तो लुटने से बचाया ही था, बैंक और सिक्योरिटी कंपनी की साख भी बचा ली थी। यह बात इसी साल फरवरी की है।
कैश वैन ड्राइवर की नौकरी से न तो प्रदीप खुश था और न ही उसकी पत्नी शशिकला। कंपनी ने उसकी तनख्वाह 11 हजार रुपए तय की थी, लेकिन मिलते थे सिर्फ 6 हजार। ऊपर से उसे घर से कई दिन गायब रहना पड़ता था। यूपी के बलिया से प्रदीप दिल्ली नौकरी करने ही तो आया था, सो मजबूरी में कम पैसों में भी काम किए जा रहा था। शशिकला इस आर्थिक तंगी में तीन बच्चों को अकेले संभालते-संभालते तंग आ चुकी थी। प्रदीप तो घर आता नहीं था, इसलिए वह खुद ही आस-पड़ोस की दुकानों से उधार मांगकर घर चला रही थी। लेकिन अब तो उधार मिलना भी बंद हो गया था।
26 नवंबर। दोपहर के 2 बज रहे थे। प्रदीप कैश वैन लेकर एक्सिस बैंक की विकासपुरी शाखा के बाहर खड़ा था। आज करीब 38 करोड़ रुपए एटीएम मशीनों में भरे जाने के लिए चार वैन में लोड किए जा रहे थे। साढ़े 15 करोड़ रुपए तीन वैन में चढ़ा दिए गए, लेकिन प्रदीप की वैन में रखी गईं 9 पेटियां। इन पेटियों में थे 22.5 करोड़ रुपए। प्रदीप को एहसास हुआ कि शायद इतनी बड़ी रकम वह पहली बार ले जा रहा है। उसके साथ सिर्फ एक गार्ड विनय पटेल की ड्यूटी थी। 2.30 बजे तक कैश लोड होने पर दोनों ओखला के लिए निकले, जहां उन्हें कंपनी गोदाम में पैसे उतारने थे। यहां से पैसे दूसरी गाड़ियों में अन्य जगहों पर भेजे जाते। वे ओखला फेज 3 पहुंचने वाले थे कि तभी कैप्टन गौड़ मार्केट के पास विनय ने प्रदीप से गाड़ी रोकने को कहा। विनय को नैचुरल ब्रेक के लिए जाना था। गाड़ी रुकी और पैसे प्रदीप के भरोसे छोड़ विनय झाड़ियों में चला गया। अब सिर्फ प्रदीप था और गाड़ी में रखे 22.5 करोड़ रुपए।
अचानक प्रदीप को एक ख्याल आया। एक खुराफाती ख्याल। 'क्यों न मैं ये पैसे लेकर भाग जाऊं? बहुत हो गया। नहीं करनी अब ये नौकरी। पैसे ले जाता हूं, घर से बच्चों को और शशि को लेकर कहीं दूर निकल जाऊंगा।' ये ख्याल आते ही प्रदीप ने वैन चालू की और निकल गया। विनय लौटा तो उसे वैन नदारद मिली। उसने तुरंत प्रदीप को फोन किया। विनय ने पूछा, 'कहां चले गए?' प्रदीप ने जवाब दिया, 'अरे वहां गाड़ी खड़ी करने पर पुलिस वाले परेशान कर रहे थे। तुम वहीं रुको मैं यू-टर्न लेकर आता हूं।' विनय इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद उसने फिर प्रदीप को फोन किया। जवाब मिला, 'भीड़ में फंस गया हूं, आता हूं।' अबकि बार विनय ने फोन किया तो प्रदीप मोबाइल बंद कर चुका था। आधे घंटे बीत चुके थे, लेकिन प्रदीप नहीं लौटा। 22.5 करोड़ रुपए जा चुके थे। प्रदीप उन्हें 'लूट' चुका था।
'मैं पैसे ले तो आया, पर अब इन्हें कहां ले जाऊं? नौ पेटियां हैं!' यही सोचते-सोचते प्रदीप ओखला फेज 3 की ओर तेजी से बढ़ रहा था। फिर उसे गोदाम नंबर 214 की याद आई। उसने सोचा, 'वहां रामसरस काका होंगे, उन्हीं के पास पैसे रख देता हूं। कार का पुराना गोदाम है, वहां कोई नहीं आएगा। फिर घर जाकर फैमिली को लेकर निकल जाऊंगा।' पैसों से भरी वैन लेकर प्रदीप रामसरस काका के पास पहुंचा। काका पुराने परिचित थे इसलिए उन्होंने ज्यादा सवाल नहीं किए। प्रदीप ने इतना ही बताया, 'काका इसमें पन्नियां हैं, कल सुबह इन्हें बनारस ले जाना है। रातभर के लिए रख लो।' काका बूढ़े थे, इसलिए प्रदीप ने खुद ही पेटियां उताकर गोदाम में रख दीं। उसने कुछ पैसे अपने पास रखे और करीब 3000 रुपए काका को भी दिए। अब अगली समस्या थीकि वैन का क्या करें? आखिरकार उसने गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास सर्विस रोड पर वैन खड़ी कर दी।
गार्ड विनय ने सिक्योरिटी कंपनी को खबर कर दी थी। शाम करीब 4.30 बजे से कंपनी ने जीपीएस के जरिए वैन की खोज शुरू कर दी। लोकेशन पता लगते ही पुलिस को खबर की। कंपनी और पुलिस को वैन तो मिल गई, लेकिन पैसों की पेटियां गायब थीं। स्वाभाविक था कि कंपनी और पुलिस को प्रदीप पर ही शक था। शाम को करीब 6.30 बजे से पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की। उसके घर का पता, परिवार, पुलिस रिकॉर्ड, मोबाइल लोकेशन, सभी चीजों की पड़ताल होने लगी। यहां तक कि आसपास के राज्यों की पुलिस और पाकिस्तान व नेपाल की सीमाओं को भी सचेत कर दिया गया। पुलिस को भरोसा हो चला था कि इतने कम समय में, इतने पैसों के साथ प्रदीप दिल्ली से तो बाहर नहीं जा सकता। उसे ओखला के आसपास ही खोजना होगा।
रात हो चली थी। टीवी पर खबरिया चैनल प्रदीप की तस्वीर के साथ खबरें दिखा रहे थे। 'दिल्ली की अब तक की सबसे बड़ी लूट!' '22.5 करोड़ रुपए लेकर ड्राइवर चंपत!' 'पुलिस की तफ्तीश जारी!' इन सबसे बेखबर प्रदीप ओखला में ही घूमता रहा। वह अपनी पत्नी शशिकला से मिलने घर पहुंचा, लेकिन वह मिली नहीं। प्रदीप ने पड़ोसी से कहा, 'शशि आए तो कह देना मैं वापस आऊंगा।' वह अचानक अमीर हो गया था। करोड़पति। वह इसे हजम नहीं कर पा रहा था। उसने तो सोचना भी शुरू नहीं किया था कि वह इतने पैसों का करेगा क्या? शायद प्रॉपर्टी खरीदे। उसे लगा कि कुछ पैसा दान कर देना चाहिए। शुरुआत एक रेस्त्रां से की। बिल बहुत कम बना था, लेकिन उसने वेटर को 500 रुपए थमा दिए। सड़कों पर निकला तो उसने गरीबों और भिखारियों में पैसे बांटने शुरू कर दिए। 'तू भी क्या याद रखेगा...', 'ले तेरी भी किस्मत खुल गई...'। 500 के नोट थमाते हुए वह लोगों से यही कहता जा रहा था। 'दान' का सिलसिला थमा तो उसने कुछ खरीदारी की। एक घड़ी और कुछ कपड़े। इतने खर्चे के बाद भी वह 22 करोड़ में से सिर्फ साढ़े दस हजार रुपए खर्च कर पाया था। वह भूल गया था कि इस तरह पैसे बांटते हुए वह कदम-कदम पर पुलिस के लिए सुराग छोड़ता जा रहा है।
रात के 9.30 बज चुके थे। वोडका की बोतल और चिकन फ्राय लेकर प्रदीप वापस गोदाम नंबर 214 पहुंचा। रामसरस काका पेटियों के बगल में ही सो रहे थे, इस बात से अंजान की पेटियों में करोड़ों रुपए हैं। अब तक प्रदीप को अंदाजा हो गया था कि पुलिस उसे ढूंढ रही होगी, इसलिए उसने डर के कारण गोदाम की लाइटें चालू रखीं। वहां पुलिस प्रदीप की मोबाइल लोकेशन के आधार पर तय कर चुकी थी कि वह ओखला में ही कहीं है। वैन के जीपीएस के आधार पर भी यह साफ था कि पैसे यहीं-कहीं किसी गोदाम में हैं। पुलिस इलाके में प्रदीप की तस्वीर लेकर उसे ढूंढ रही थी। गोदाम से कुछ दूर स्थित एक चाय की दुकान के मालिक अजय ने इस बाद की पुष्टि कर दी कि प्रदीप यहीं है। तड़के करीब 4 बजे पुलिस को एक गोदाम की लाइट जलती हुई दिखी। शक के आधार पर पुलिस ने गोदाम के गेट पर दस्तक दी। रामसरस ने सोचा कि पानी का टैंकर आया है। लेकिन यह पुलिस थी। प्रदीप ने पुलिस को देख भागने की कोशिश की, लेकिन उसे पैसों के साथ धर दबोचा गया। एक पल के लिए आए खुराफाती ख्याल ने प्रदीप शुक्ला को मुजरिम बना दिया। गनीमत है कि वह बैंक में जमा आम जनता के करोड़ों रुपए लेकर भागने के अपने मंसूबे में कामयाब न हो सका और लूट की ये कहानी कुछ घंटों में ही खत्म हो गई।
(पुलिस अधिकारियों और पड़ोसियों से बातचीत पर आधारित)
अजय प्रकाश / विनायक दुबे 
Source : दैनिक भास्कर 

Sunday, 6 December 2015

सलमान की नजर में मिस यूनिवर्स के लिए उर्वशी हैं बेस्ट...




मॉडल से एक्‍ट्रेस बनीं उर्वशी रौतेला इस साल उस वक्‍त काफी सुर्खियों में छा गईं, जब वो मिस दिवा यूनिवर्स का विजेता घोषित की गईं। तो च‍लिए आपको उनकी पूरी शख्सियत से रूबरू कराते हैं खूबसूरत तस्‍वीरों के साथ



जन्‍म एवं जन्‍म स्थान :

सबसे पहले आप जानना चाहेंगे कि आखिर उर्वशी हैं कहां की। तो आपको बता दें कि 25 फरवरी, 1994 को उनका जन्‍म उत्‍तराखंड में हुआ था और उनका पालन-पोषण भी यही हुआ है



उर्वशी किशोरावस्‍था से ही कई ब्‍यूटी कॉन्‍टेस्‍ट में हिस्‍सा ले चुकी हैं। इसमें मिस टीन इंडिया कॉन्‍टेस्‍ट भी शामिल है और उन्‍होंने इसे 15 साल की उम्र में ही जीत लिया था मगर जैसे ही जूरी को पता चला कि इस कॉन्‍टेस्‍ट के हिसाब से उनकी उम्र कम है तो उन्‍हें डिसक्‍वालिफाई कर दिया गया



उवर्शी, यो यो हनी सिंह के 'लवडोज' वीडियो में भी नजर आई थीं 

एक बार मिस यूनिवर्स रह चुकीं सुष्मिता सेन ने भी उर्वशी को कहा था कि वो इंटरनेशनल लेवल पर भी ब्‍यूटी कॉन्‍टेस्‍ट जीत सकती हैं और उनकी यह बात साबित भी हो गई। 



अगर मीडिया रिपोर्टों की मानें तो सलमान खान को लगता है उवर्शी मिस यूनिवर्स कॉन्‍टेस्‍ट के लिए बेस्‍ट फेस एंड बेस्‍ट च्‍वायस हैं। 

ऐसी अटकलें भी हैं कि 'गेम ऑफ थ्रोन्‍स' के मेकर्स उवर्शी के लुक से काफी इंप्रेस्‍ड हैं और उन्‍हें अगले सीजन में कास्‍ट करना चाहते हैं। 

आपको बता दें कि उवर्शी ने सनी देओल जैसे हीरो के साथ फिल्‍म 'सिंह साब द ग्रेट' से बॉलीवुड में कदम रखा था। 


सोर्स : दैनिक जागरण  

ऐसी स्टाइलिस्ट कार, जिसमें कलपुर्जे और ढांचा सब लकड़ी का





जर्मनी के एसेन शहर में चल रहे मोटर शो में लकड़ी की कार ‘स्पिलंटर’ लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। अमेरिकी के जो हारमोन ने करीब पांच साल में इसका निर्माण किया है। लकड़ी के कलपुर्जो वाली इस कार में वी 8 एल्यूमीनियम का शक्तिशाली इंजन लगा है। यूनिक कारों के लिए मशहूर यह शो 6 दिसंबर तक चलेगा।





source:दैनिक जागरण